मैं वो हूँ जिसे तू जानता नहीं, दूर नहीं हूँ तुझसे, तुझी में छिपा हूँ कहीं, आ मिल, मुझसे कुछ बातें कर, जीना तुझको सीखा दूँ ज़रा, क्यों किसी और पे निर्भर हैं तेरी ख़ुशी , क्या खुद की ख़ुशी पहचानता नहीं? तेरी उस ख़ुशी का रूप हूँ मैं, पर तू कम्बख्त मानता नहीं |