आशिक
तेरे प्यार मे शायरी भी सीख ली मैंने,
अब तो बता दे तू कहा है, कौन है..
किसी नुक्कड़ पे नज़रे मिलाकर ना ही कह दे,
तेरी इनकार से ज़्यादा कातिलाना ये मौन है।
तेरे इंतज़ार में कितनों को छोड़ आया मोहतरमा,
मुहल्ले में अब हम बदनाम है..
मुड़कर मुस्कुरा ही दे, सांसें लौटा ही दे,
तेरे इस आशिक को कुछ और भी काम है।