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मुड़के देख

मुड़के देख

कुछ छूट गया है तो,
कुछ अनकहा है तो,
कुछ इज़हार करना हो तो,
मुड़के देख।

ज़ुबाँ पे जो लफ्ज़ आकर मुकर गए,
दिल की वो चाह जो दफ़्न हुई,
जो वक़्त को याद करते करते,
तेरी ये आँखें नम हुई ..

केह दे उन लफ़्ज़ों को,
खोद ले उस चाहत को,
हस ले आँसू पोंछकर,
बस एक बार देख ले तू मुड़कर।

जितनी दूर जाएगा,
लौट न पाएगा,
फिर तू पछताएगा..
क्या तू खुदसे कह पाएगा
की काश मै अपनी सोच के पिंजरे से उड़ गया होता,
के काश मै उस दिन मुड़ गया होता…

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