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रफ़्तार

रफ़्तार

ज़िन्दगी की रफ़्तार ऐसी हो की हवा का रुख बदल जाए,
सब देखते रहे और तू आसमान को छू जाए,
थमना तेरे तक़दीर में नहीं,
ऐसे बढ़ अपनी मंज़िल की और ,
की मंज़िल खुद पास आने पर मजबूर हो जाए |

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