
उड़ता रहूँगा
रोक लो चाहे जितना चाहो,
हार ना मानूंगा मैं,
तुम पर भी ले लो मेरे,
फिर भी गिरने तक उड़ता रहूँगा मैं,
तुम क्या कैद करोगे मुझको,
अपने सोच से ही उड़ान भरूंगा मैं |
रोक लो चाहे जितना चाहो,
हार ना मानूंगा मैं,
तुम पर भी ले लो मेरे,
फिर भी गिरने तक उड़ता रहूँगा मैं,
तुम क्या कैद करोगे मुझको,
अपने सोच से ही उड़ान भरूंगा मैं |
Sorry, the comment form is closed at this time.