Hindi टूटा हूँ टूटा हूँ इस बार कुछ ऐसे, बिखरे हुए कांच के टुकड़ों के जैसे, समेट सकूँ इतनी ताकत कहाँ मुझ में, टूटा हूँ इस बार कुछ ऐसे | July 20, 2016 0 0