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ए महलों में रहने वाले

ए महलों में रहने वाले

ए महलों मेंरहने वाले,
मेरे सपनो का घर भी कुछ ऐसा है |
महनत मेरी ज़्यादा है,
फर्क तो सिर्फ पैसा है |
उस पैसे को न मांगे मन,
बस मांगे मौका एक जैसा है |
हक की भीख मांगता हूँ मै ,
ज़माना ही कुछ वैसा है |

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