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खोता जाता हूँ

खोता जाता हूँ

जितना सोचता हूँ उलझता जाता हूँ,
जितना लिखता हूँ मिटता जाता हूँ ,
बस एक तन्हाई का ही साथ है जनाब,
वरना ढूंढ़ता हूँ उनको, और खुदको खोता जाता हूँ |

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