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बदलते वक़्त

बदलते वक़्त

आज मेरी जगह कोई और हैं,
और तेरी जगह कोई और..
अब आदत दाल लो बदलते वक़्त की,
ऐसा ही है ये दौर..
मुड़ने का कोई फायदा नहीं,
नए तरीके हैं और नए हैं तौर |

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