क्यों ?
वो चले गए कब के,
फिर भी ये दिल रोता हैं क्यों?
ना मुड़ें थे वो न मुड़ेंगे कभी,
फिर भी आस बाकी हैं क्यों?
प्यार कोई और हैं उनका,
फिर भी इश्क़ बाकी हैं क्यों?
यादें हमें रुलाती रहे,
फिर भी याद वो आती हैं क्यों?
अब बस भी कर कहता हैं मन,
पर आदत नहीं जाती हैं क्यों?
वो मजबूर हैं, मगरूर हैं,
फिर भी लौटकर आएगी वो,
ऐसे उम्मीद जगती हैं क्यों?
जब जान ही लेकर गयी,
तो ज़िन्दगी ये बाकी हैं क्यों?